मित्रों ज्योतिष... भूत-भविष्य को समझने का एक विज्ञान हैं। पर मात्र इस विज्ञान को समझ लेने से भाग्य को नही बदला जा सकता, इसके लिये हमें कर्म-सिद्धांत का ज्ञान होना भी बहुत जरुरी हैं। क्योंकि कर्मो के द्वारा हीं भाग्य को बदला जा सकता है।
आइये मित्रों ज्योतिष और कर्म-सिद्धांत को सूक्ष्म रूप में समझने का प्रयास करते हैं।
मित्रों हम सोचते है कि जीवन में सब कुछ भाग्य के आधार पर संपन्न होता है। पर सत्य तो ये है... कि भाग्य का निर्धारण स्वयं "कर्म" और मन के भाव के आधार पर संपन्न होता है। ना तो बिना कर्म किये भाग्य बनता है, और ना ही बिना कर्म किये भाग्य फलता है।
पर कैसे ?
मित्रों जैसे चौसर के पासे फेंकना हमारे हाथ होता है, पर अंक मिलना भाग्य के हाथ होता है। पर भाग्य में लिखे अंको को अगर पाना है, तो पासा तो फेंकना हीं पड़ता हैं। बिना पास फेंके अंक मिलने वाला नहीं।
बस इसी सिद्धांत के अनुसार आप ये बात भलीभांति समझलें कि भाग्य में आपके जो भी कुछ भी लिखा है, वो बिना कर्म किये आपको मिलने वाला नहीं। अब चाहे फल अच्छा हो या बुरा, सिद्धांतनुसार कर्म के बाद ही फल मिलता हैं।
मित्रों अपनी बातों से में ना तो किसी की "भाग्यवादी" बनाना नही चाहता, और ना हीं किसी को "कर्महीन" रखना चाहता हूँ।
पर कर्म कब करना है इसके बारे में बताना चाहता हूँ।
ज्योतिष:- यानि ईश्वरीय ज्योति (ज्योति+ईष)
क्या है ये ज्योतिष ?
ज्योतिष कोई चमत्कार नही हैं। ये एक अपने आप में समग्र विज्ञान है। जिसका ज्ञान ज्योतिष में रुची रखने वालों को होता है। जैसे अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाला इंग्लिश में लिखा हुआ पढ़कर ट्रांसलेट कर देता है। ठीक वैसे ही एक ज्योतिषी ग्रहों की स्थति और चाल को समझकर कुण्डली को ट्रांसलेट कर देता हैं। और उसी ट्रांसलेशन को समझ कर भविष्य में आपके साथ क्या-क्या होगा इसको निर्धारित कर, आपको कब क्या करना है उसका निर्धारण "अनुभव" से अनुसार करता है।
मित्रों ज्योतिष ही एक मात्र समग्र विज्ञान है जो आपको जीवन रुपी इस चौसर में पासा फेकने का सही समय बताता है। यानी कर्म कब करना है इसका ज्ञान देता हैं।
मित्रों अक्सर हम हमारे जीवन में देखते है की बहुत परिश्रम और अच्छे कर्म करने के बावजूत भी अच्छे परिणाम नही मिलते बल्कि अच्छे कर्म करने के बावजूत भी नकारात्मकता का सामना करना पड़ता है।
और कभी-कभी ऐसा समय भी आता है जब हमें कम परिश्रम में भी श्रेष्ठ परिणाम शीघ्रता से मिल जाते है। ये सभी घटनाएं अच्छे और बुरे समय और ग्रहों की शुभाशुभ दशा-अंतर्दशा से संपन्न होती हैं।
जैसा कि मैं पहले बता चूका हूँ कि बिना कर्म किये आपको कुछ मिलने वाला नही। तो इसी "सिद्धांत" से ये बात क्लीयर हो चुकी हैं कि जीवन में हमे जो भी फल मिलेगा वो कर्म करने के बाद ही मिलेगा, बिना कर्म किये फल नही मिलेगा। चाहे फल अच्छा हो या बुरा।
कहने का मतलब ये है कि समय अच्छा है तो कर्म करके ही फल को पाया जा सकता हैं। और समय बुरा है तो कर्म को टाल कर बुरे परिणामों को रोका या कम भी जा सकता है।
तो विद्वान ज्योतिष अपने ज्ञान से विश्लेषण कर सही समय पर कर्म करने का ज्ञान जातक को देते है। और जब सही समय होता है तब पासा फेंकने को बोलते हैं। अर्थात कर्म करने का बोलते है अन्यथा यथा स्थिति सँभालने का निर्देश देते है।
तो ज्योतिष विज्ञान के द्वारा हम कर्म करने के साथ-साथ कर्म करने के समय का ज्ञान प्राप्त कर जीवन को सफल और श्रेष्ठ बना सकते है। इसीलिये कहते है कि...
लाभ समय को पालिये, हानि समय की चूक।
यानी समय को समझ लिया तो लाभ को पाओगे और समय को समझने में चूक गए तो हानि उठानी पड़ेगी।
इसके बावजूत मित्रों में एक और बात से भी सहमत हूँ कि जो लोग नित-प्रतिदिन "सत्संग" करते है या किसी भी विधि से ईश्वर से जुड़े रहते है। उन्हें ईश्वर की कृपा से यह कर्म ज्ञान स्वत: ही प्राप्त हो जाता है। और जो उपाय या मार्ग एक ज्योतिष बताता है, वे उपाय या कर्म उन लोगों से स्वत: ही होने लग जाते है जिनसे जीवन में सुख आता है।
मित्रों 84 लाख योनियों में एक मनुष्य योनि हीं ऐसी है जिसमे कर्म के द्वारा भाग्य को बदला जा सकता हैं। हालाँकि "कर्म-सिद्धान्त" का विषय तो बहुत विस्तृत हैं जिसे मात्र कुछ शब्दों में नहीं बताया जा सकता। मैंने यहाँ एक साधारण नियम की बात की हैं, बाकी कर्मकाण्ड, दान-धर्म, मन्त्र-जाप, रत्न धारण इत्यादि अनेक विधियाँ है जिसनके द्वारा भाग्य को बदला जा सकता हैं। मैं आगे आने वाले लेखों में आपको ये बताने का प्रयत्न करूँगा कि कैसे, कर्म-सिद्धांत के द्वारा आने वाले बुरे समय को अच्छे समय की और Divert किया जा सकता हैं।
राधे-राधे...
आइये मित्रों ज्योतिष और कर्म-सिद्धांत को सूक्ष्म रूप में समझने का प्रयास करते हैं।
मित्रों हम सोचते है कि जीवन में सब कुछ भाग्य के आधार पर संपन्न होता है। पर सत्य तो ये है... कि भाग्य का निर्धारण स्वयं "कर्म" और मन के भाव के आधार पर संपन्न होता है। ना तो बिना कर्म किये भाग्य बनता है, और ना ही बिना कर्म किये भाग्य फलता है।
पर कैसे ?
मित्रों जैसे चौसर के पासे फेंकना हमारे हाथ होता है, पर अंक मिलना भाग्य के हाथ होता है। पर भाग्य में लिखे अंको को अगर पाना है, तो पासा तो फेंकना हीं पड़ता हैं। बिना पास फेंके अंक मिलने वाला नहीं।
बस इसी सिद्धांत के अनुसार आप ये बात भलीभांति समझलें कि भाग्य में आपके जो भी कुछ भी लिखा है, वो बिना कर्म किये आपको मिलने वाला नहीं। अब चाहे फल अच्छा हो या बुरा, सिद्धांतनुसार कर्म के बाद ही फल मिलता हैं।
मित्रों अपनी बातों से में ना तो किसी की "भाग्यवादी" बनाना नही चाहता, और ना हीं किसी को "कर्महीन" रखना चाहता हूँ।
पर कर्म कब करना है इसके बारे में बताना चाहता हूँ।
ज्योतिष:- यानि ईश्वरीय ज्योति (ज्योति+ईष)
क्या है ये ज्योतिष ?
ज्योतिष कोई चमत्कार नही हैं। ये एक अपने आप में समग्र विज्ञान है। जिसका ज्ञान ज्योतिष में रुची रखने वालों को होता है। जैसे अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाला इंग्लिश में लिखा हुआ पढ़कर ट्रांसलेट कर देता है। ठीक वैसे ही एक ज्योतिषी ग्रहों की स्थति और चाल को समझकर कुण्डली को ट्रांसलेट कर देता हैं। और उसी ट्रांसलेशन को समझ कर भविष्य में आपके साथ क्या-क्या होगा इसको निर्धारित कर, आपको कब क्या करना है उसका निर्धारण "अनुभव" से अनुसार करता है।
मित्रों ज्योतिष ही एक मात्र समग्र विज्ञान है जो आपको जीवन रुपी इस चौसर में पासा फेकने का सही समय बताता है। यानी कर्म कब करना है इसका ज्ञान देता हैं।
मित्रों अक्सर हम हमारे जीवन में देखते है की बहुत परिश्रम और अच्छे कर्म करने के बावजूत भी अच्छे परिणाम नही मिलते बल्कि अच्छे कर्म करने के बावजूत भी नकारात्मकता का सामना करना पड़ता है।
और कभी-कभी ऐसा समय भी आता है जब हमें कम परिश्रम में भी श्रेष्ठ परिणाम शीघ्रता से मिल जाते है। ये सभी घटनाएं अच्छे और बुरे समय और ग्रहों की शुभाशुभ दशा-अंतर्दशा से संपन्न होती हैं।
जैसा कि मैं पहले बता चूका हूँ कि बिना कर्म किये आपको कुछ मिलने वाला नही। तो इसी "सिद्धांत" से ये बात क्लीयर हो चुकी हैं कि जीवन में हमे जो भी फल मिलेगा वो कर्म करने के बाद ही मिलेगा, बिना कर्म किये फल नही मिलेगा। चाहे फल अच्छा हो या बुरा।
कहने का मतलब ये है कि समय अच्छा है तो कर्म करके ही फल को पाया जा सकता हैं। और समय बुरा है तो कर्म को टाल कर बुरे परिणामों को रोका या कम भी जा सकता है।
तो विद्वान ज्योतिष अपने ज्ञान से विश्लेषण कर सही समय पर कर्म करने का ज्ञान जातक को देते है। और जब सही समय होता है तब पासा फेंकने को बोलते हैं। अर्थात कर्म करने का बोलते है अन्यथा यथा स्थिति सँभालने का निर्देश देते है।
तो ज्योतिष विज्ञान के द्वारा हम कर्म करने के साथ-साथ कर्म करने के समय का ज्ञान प्राप्त कर जीवन को सफल और श्रेष्ठ बना सकते है। इसीलिये कहते है कि...
लाभ समय को पालिये, हानि समय की चूक।
यानी समय को समझ लिया तो लाभ को पाओगे और समय को समझने में चूक गए तो हानि उठानी पड़ेगी।
इसके बावजूत मित्रों में एक और बात से भी सहमत हूँ कि जो लोग नित-प्रतिदिन "सत्संग" करते है या किसी भी विधि से ईश्वर से जुड़े रहते है। उन्हें ईश्वर की कृपा से यह कर्म ज्ञान स्वत: ही प्राप्त हो जाता है। और जो उपाय या मार्ग एक ज्योतिष बताता है, वे उपाय या कर्म उन लोगों से स्वत: ही होने लग जाते है जिनसे जीवन में सुख आता है।
मित्रों 84 लाख योनियों में एक मनुष्य योनि हीं ऐसी है जिसमे कर्म के द्वारा भाग्य को बदला जा सकता हैं। हालाँकि "कर्म-सिद्धान्त" का विषय तो बहुत विस्तृत हैं जिसे मात्र कुछ शब्दों में नहीं बताया जा सकता। मैंने यहाँ एक साधारण नियम की बात की हैं, बाकी कर्मकाण्ड, दान-धर्म, मन्त्र-जाप, रत्न धारण इत्यादि अनेक विधियाँ है जिसनके द्वारा भाग्य को बदला जा सकता हैं। मैं आगे आने वाले लेखों में आपको ये बताने का प्रयत्न करूँगा कि कैसे, कर्म-सिद्धांत के द्वारा आने वाले बुरे समय को अच्छे समय की और Divert किया जा सकता हैं।
राधे-राधे...