कभी-कभी ऐसा भी होता हैं कि..
ईश्वर हमारी प्रार्थना सुनते हुए भी फल नही देता।
क्यों ?
मित्रों एक बार एक भिखारी एक सेठ के घर के बाहर खड़ा होकर भजन गा रहा था और बदले में खाने को रोटी मांग रहा था। सेठानी काफ़ी देर से उसको कह रही थी "रुको आ रही हूँ"। रोटी हाथ मे थी पर फ़िर भी कह रही थी की रुको आ रही हूँ। भिखारी भजन गा रहा था और रोटी मांग रहा था। सेठ ये सब देख रहा था पर समझनही पा रहा था कि उसकी पत्नी ऐसा क्यूँ कर रही हैं।
पर आखिरकार सेठ अपनी पत्नी से बोल ही डाला कि...
"भागवान रोटी हाथ मे लेकर खडी हो, वो बाहर मांग रहा हैं। उसे बार-बार कह रही हो आ रही हूँ, आ रही हूँ, तो उसे रोटी दे क्यों नही देती".?
सेठानी बोली :-
"हाँ रोटी दे दुंगी पर क्या है ना की मुझे उसका भजन बहुत प्यारा लग रहा हैं। अगर उसको अभी रोटी दे दुंगी तो वो आगे चला जायेगा, मुझे उसका भजन और सुनना हैं"।
मित्रों अक्सर हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही होता हैं।
यदि हमारी प्रार्थना के बाद भी भगवान हमारी प्रार्थना नही सुन रहे हैं तो हमे यह समझना चाहिए की उस सेठानी की तरह प्रभु को भी आपकी प्रार्थना प्यारी लग रही हैं, इसलिये मित्रों इंतज़ार करो और प्रार्थना करते रहो, परमात्मा फल हाथ में लेके खड़ा हैं।
राधे-राधे...