सही रत्न और और योग्य पात्र को दिया गया दान आपके जीवन में सुख ला सकता हैं।
मित्रों व्यक्ति की जन्मपत्री में बैठे ग्रह अपना अपना प्रभाव छोड़ते ही हैं। कुछ ग्रह शुभ फलदाता होते हैं तो कुछ अशुभ फलदाता होते हैं। मान्यता के अनुसार कोई भी ग्रह कुंडली में शुभ फलदाता हो तो रत्न धारण कर उस ग्रह की मिलने वाली रश्मियों को बढ़ा दिया जाता हैं। जैसे कोन्वेन्स लैंस द्वारा सूर्य की किरणों को एक जगह केन्द्रित कर सूर्य की ऊर्जा शक्ति का केन्द्रीकरण किया जाता हैं। वैसे ही ग्रह से सम्बन्धित रत्न के द्वारा उस ग्रह की ऊर्जा को शरीर में बढ़ा दिया जाता हैं।
इसके विपरीत कुंडली में कोई ग्रह अशुभफल देने वाला हो तो उस ग्रह सम्बन्धी वस्तुओं का जातक के द्वारा दान या गिफ्ट उस ग्रह के नकारत्मक प्रभाव को कम किया जाता हैं।
पर दान देने में अगर कर्म-सिद्धांत को जोड़ दिया जाये तो उसी दान के कई गुना अधिक फल पाया जा सकता हैं।
जैसे किसी कुंडली में मंगल नीच राशिगत या अशुभ फलदाता हैं तो उसे लाल वस्तुओं का दान करना चाहिये। पर अगर ये दान या गिफ्ट उस व्यक्ति को कर दिया जाये जिसकी जन्मपत्री में मंगल शुभ फलदाता हो तो सोने पे सुहागा हो जायेगा।
पर अगर आपने दान या गिफ्ट किसी ऐसे व्यक्ति को दिया जिसकी कुंडली में मंगल अशुभ फलदाता हैं, तो उस बेचारे का तो बेड़ागर्ग हो जायेगा। आपका दिया दान अगर किसी को नुकसान पहुंचाये तो मित्रों ऐसे दान का कोई मतलब नहीं।
इसलिये
दान देते समय पात्र की योग्यता का ध्यान भी रखना जरुरी हैं। योग्य पात्र को दिया गया दान कई गुना अधिक फल देता हैं।
राधे-राधे...
(मित्रों ज्योतिष मात्र भूत-भविष्य को जानने का एक विज्ञान हैं,
पर बिना कर्म-सिद्धांत को समझे भविष्य को बदलना संभव नही)
राधे-राधे...