मित्रों "जीवन-दर्शन" के इस सफर में आपका हार्दिक स्वागत हैं। अपने जीवन के आज तक के सफ़र में मैंने जो दर्शन किया हैं, जो समझा हैं, जिस सत्य को पहचाना हैं, वो आप भी जाने ऐसा एक प्रयास है मेरा। मित्रों पेशे से मैं एक व्यापारी हूँ, पर बचपन से ही खोजी प्रवर्ति का रहा हूँ। ईश्वर के नियमों और सिद्धांतो को समझने के लिये मैंने धार्मिक ग्रंथो के साथ-साथ भूत-भविष्य को जानने वाले हस्त-रेखा, ज्योतिष शास्त्र इत्यादि और इनसे सम्बंधित विषयों का भी अध्ययन किया हैं। पर फिर भी मुझे इनसे कोई संतुष्टि नही मिली। ज्योतिष विज्ञान के द्वारा सब-कुछ जानने के बाद भी एक अधूरा सा पन महसूस होता था। ऐसे में सत्य की खोज करते-करते ध्यान और दर्शन-शास्त्र से जुड़ गया। यहाँ मैंने ईश्वर के अनेक नियमों को जाना, पर फिर भी जब तक उसको ना पा लूँ तब तक अधूरा ही हूँ।
मित्रों सत्य की खोज और "जीवन" के वास्तविक स्वरुप को समझने की कला ही "दर्शन" हैं। जो व्यक्ति ज्ञान को प्राप्त करने तथा नई-नई बातों और रहस्यों को जानने में रूचि रखता हैं, और फिर भी उसकी जिज्ञासा शांत नही होती, वो दार्शनिक कहलाता हैं। दर्शन का आरम्भ जिज्ञासा से होता हैं। बिना ईच्छा या जिज्ञासा के ज्ञान संभव नहीं। जीवन क्या हैं, आत्मा क्या हैं, परमात्मा क्या हैं, जीवन का आदि अंत सत्य क्या हैं? यही दर्शन का विषय हैं।
राधे-राधे...

21 मार्च 2015

आत्मा का स्वरूप...


आत्मा का स्वरूप...

क्या होती हैं आत्मा ?
आत्मा का स्वरूप क्या हैं ?
कैसे इसके साथ जन्मों-जन्मों के कर्म जुड़े होते हैं ?
और कैसे किसी व्यक्ति में ये देव इत्यादि आत्माएँ अपने विचारों को प्रकट करती हैं ?

मित्रों पिछले जन्म के भाव आत्मा के साथ टेप या रिकॉर्ड होकर अगले जन्म में ट्रांसफर हो जाते हैं। पर आखिर यह आत्मा पर कैसे टेप होते हैं और ये आत्मा हमें दिखती क्यों नहीं। आईये खोजते है की आत्मा होती क्या हैं।

मित्रों मैं अपने शोध की भाषा में कहूँ कि आत्मा और कुछ नही वो मात्र एक "Electro Magnetic Field" हैं, और कुछ नही। पर सायद अभी आप इस तथ्य को स्वीकार नही कर पायेंगे। इसलिये आइये इसको वैज्ञानिक उदाहरण से समझाता हूँ।

मित्रों Computer CD और Micro SD Card के बारे में तो आप सब जानते होंगे कि इनमे कंप्यूटर के डेटा इत्यादि Save किये जाते हैं। मित्रों एक छोटे से Micro SD Card में आपके जीवन का सम्पूर्ण डेटा अतिसूक्ष्म रूप रिकॉर्ड हो सकते हैं। आप सोच रहे होंगे की कंप्यूटर CD या Micro SD Card का आखिर आत्मा से क्या ताल्लुक ? मित्रों बहुत बड़ा ताल्लुक हैं इसमें, आत्मा का रहस्य तो सामने पड़ा हैं पर किसी की नजर इस पर गई नही।

मित्रों जो लोग Computer की जानकारी रखते हैं वे जानते हैं कि Micro SD Card या CD इत्यादि में सभी डाटा Electro Magnetic Field यानी एक "विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र" के रूप में Save होते हैं। और CD ईत्यादि पर रक्षित इन Electro Magnetic Field को सीडी राईटर का एक छोटा सा पॉइंट यानी सेंसर उसे Read कर उसे Text इत्यादि या अन्य रूपों में कन्वर्ट कर देता हैं।

दोस्तों Computer CD या  SD Card तो मात्र एक आधार हैं उस Electro Magnetic Field को सुरक्षित रखने का, बाकी यह "विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र" तो हवा यानी ब्रम्हांड में ही बनता हैं। सीडी या SD Card तो उस डेटा को सुरक्षित रखने का मात्र एक साधन हैं।

दोस्तों इस तथ्य को अगर आप नही मान पा रहे हैं तो अपने मोबाईल का ही उदाहरण देख लीजिये। आपके मोबाईल में आप जब कोई पिक्चर खिंचते हैं तब वह मोबाईल के SD Card में Magnetic Field के रूप में Save होती हैं। और जब आप What's app या किसी अन्य application से उसे किसी दूसरे मोबाईल में सेंड करते हो तब वो Magnetic data, बिना किसी CD या SD card के वायुमंडल में तैरते हुए Electro Magnetic Waves के रूप में अगले मोबाईल में पहुँच जाता हैं।

तो मित्रों अब तो आप समझ गये ना कि मोबाईल या कम्यूटर में रक्षित सभी डाटा Electro Magnetic Field के रूप में वायुमंडल में ही बनते हैं, CD या SD card इत्यादि तो मात्र इन्हें सुरक्षित रखने के साधन हैं। मित्रों ये Electro Magnetic Field अतिशूक्ष्म एवं अदृष्य होते हैं। और एक छोटे से SD Card में बहुत अधिक मात्रा में इन्हें सुरक्षित रखा जा सकता हैं।

अब इन Electro Magnetic Fields का आत्मा से क्या सम्बन्ध हैं ?

मित्रों जैसा की मैं अपने पिछले आर्टिकल में बता चूका हूँ कि जन्म से लेकर मृत्यु तक हमारा अंतर्मन हमारे सभी कर्मों की निरन्तर रिकॉर्डिंग कर रहा होता हैं। और हर कर्म के साथ उस कर्म से जुड़ी हुई भावनाएँ भी साथ-साथ रिकॉर्ड होती रहती हैं।

अब सवाल ये उठता हैं की इतनी सारी रिकार्डिंग आखिर कहाँ और किस रूप में होती हैं। और हमारी आत्मा जो पिछले अनेक जन्मों के कर्मो का रिकॉर्ड भी अपने साथ रखती हैं। आखिर ये सब डाटा कहाँ और किस रूप में रक्षित रहते हैं।

सायद आप सोच रहे होंगे की ये डाटा हमारे मस्तिष्क में रहते हैं। क्योंकि हम तो यही सुनते और समझते आ रहे हैं। पर मित्रों मेरी शोध के अनुसार मुझे ऐसा नही लगता की सारे डाटा हमारे मस्तिष्क में रक्षित होते हैं। ये सारी रिकॉर्डिंग Magnetic Fields के रूप में हमारे आभामंडल में Save होती रहती हैं। मित्रों रहस्य बड़ा गहरा और गूढ़ हैं। फिर भी हम कोशिस करेंगे इस विज्ञान को समझने की।

मित्रों हमारा शरीर से हर समय Electro Waves का सम्प्रेषण होता रहता हैं। हम जो भी बोलते हैं तो हमारे कंठ से Electro Waves का प्रसारण होता हैं, और सामने वाला अपने कान के माध्यम से इन चुम्बकीय तरंगो को मस्तिष्क तक पहुँचाता हैं, और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली इन तरंगो को decode कर अपना प्रस्तुतिकरण देती हैं। और यह प्रक्रिया माइक्रो सेकण्ड में संपादित हो जाती हैं। पर हमारे कंठ से निकली ये Magnetic Waves मात्र सामने वाले के कान तक ही सीमित नही होती बल्कि आस-पास खड़े सभी लोगों को सुनाई देती हैं। और एक बार कंठ से निकलने के बाद यह कभी भी समाप्त भी नही होती, बल्कि Magnetic Field के रूप में ब्रम्हांड में तैरती रहती हैं। इसके साथ-साथ इसकी एक कॉपी बोलने वाले के स्वयं के पास और सभी सुनने वालों के पास रक्षित हो जाती हैं।

मित्रों अग्नि, पृथ्वी, जल, वायु और आकाश इनसे मात्र हमारे भौतिक शरीर का निर्माण हुआ हैं। पर इस शरीर का संचालन आत्मा के द्वारा होता हैं। पिछले जन्म-जन्मातर के संचित कर्म आत्मा के साथ टेप होकर आते हैं। आत्मा अतिसूक्ष्म ऊर्जा का कण हैं, और जन्म-जन्मान्तर के सभी कर्म आत्मा पर Magnetic Field के रूप में रिकॉर्ड होकर आते हैं और इस जन्म में भी सभी कर्मो की रिकॉर्डिंग हमारी आत्मा के साथ Magnetic Fields के रूप में रक्षित होती रहती हैं। हमारा मस्तिष्क तो मात्र एक CD Writer की तरह काम करता हैं, जो निरन्तर इन Magnetic Fields का निर्माण भी करता हैं और इन Electro Magnetic Fields को Read भी करता रहता हैं। ये सभी Magnetic Fields हमारे आभामण्डल में रक्षित होते रहते हैं और जरूरत पड़ने पर हमारे मस्तिष्क के न्यूरॉन्स इन्हें Read कर सम्पादित कर देते हैं।

मित्रों आत्मा और कुछ नही बस एक Electro Magnetic Field हैं। जिसमें जन्म-जन्मान्तरों के कर्मो का डेटा सेव रहता हैं।

मित्रों जैसे एक कंप्यूटर बिना किसी ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर के मात्र एक टिन का डब्बा हैं, वैसे ही बिना आत्मा के ये शरीर मात्र पंचतत्वों का पूतला हैं। आत्मा के प्रवेश के साथ ही इसमें जन्म-जन्मांतरों का रक्षित डेटा हमारे "स्वभाव" के जरिये Run होने लगता हैं, चुनाव करता हैं, और अच्छे-बुरे परिणामों को प्राप्त करता हैं।

मित्रों जैसे एक CD में रक्षित डाटा बिना कंप्यूटर के कुछ काम के नही वैसे ही एक आत्मा यानी Electro Magnetic Field, बिना शरीर के कुछ काम का नही। इस आत्मा का शरीर में प्रवेश करते ही शरीर रुपी कंप्यूटर हरकत में आ जाता हैं। धीरे-धीरे होता मस्तिष्क के न्यूरॉन्स का विकास आत्मा के साथ जुड़े रिकॉर्ड भावों को Read कर स्वभाव में तब्दील करता जाता हैं। जैसे-जैसे आवश्यकता होती हैं वैसे-वैसे शरीर के हर अंग का और मस्तिष्क का विकास होता जाता हैं।

Continued....

Radhe-Radhe...