मित्रों अवसर किसी की प्रतीक्षा नही करता,वह आकर निकल जाता है।
आइये एक कहानी के माध्यम से आपको इस सच्चाई से रूबरू करवाता हूँ।
एक बार एक गाँव में एक साधू पेड़ के निचे लम्बे समय से ध्यान लगा रहा होता है। कुछ समय बाद गाँव में बाढ़ आ जाती है। तो कुछ गाँव वाले साधू को जाकर बोलते है कि महाराज गाँव में बाढ़ आ गई हैं इसलिए आप ऊँचे पहाड़ पर चले जाइये। साधू ने गुस्सा होकर गाँव वालो को बोला की मेरा भगवान् मुझे अपने आप बचाएगा तुम्हे पंचायती करने की कोई जरुरत नही है। यह सुनकर गाँव वाले चुपचाप चले जाते है।
दो दिनों बाद पानी साधू की कमर तक पँहुच जाता है। तब एक व्यक्ति उधर से नाव लेकर निकलता है, और साधु को देख कर बोलता है साधू महाराज आप मेरी नाव ने बैठिये में आपको ऊँचे स्थान पर छोड़ देता हूँ। नाविक की बात सुन साधू नाविक को कहता है मेरा भगवान मुझे अपने आप बचाएगा तू पंचायती मत कर। यह सुनकर नाविक भी चला जाता है।
पानी को ऊपर चढ़ता देख साधू पेड़ पर चढ़ जाता है। उधर साधू को पेड़ पर बैठा देख एक हेलिकोप्टर आकर रस्सी फेकता है और रस्सी पकड़ने को बोलते है। उनको भी साधू यही जवाब देता है कि तू भी चला जा, पंचायती मत कर, मुझे मेरा भगवान् अपने आप बचाने आएगा।
बाढ़ का पानी और ऊपर चढ़ जाता है और साधू पानी की धारा में बहकर मर जाता हैं।
मरने के बाद साधू ऊपर जाता हैं और भगवान् को कहता हैं कि मैंने तुम्हारी पूरी लगन के साथ आराधना की, तपस्या की पर मै जब डूब रहा था फिर भी तुम मुझे बचाने नही आये। ऐसा क्यों प्रभु ?
भगवान् बोले हे साधू महात्मा में एक बार नही दो बार नही बल्कि तीन-तीन बार मै तुम्हारी रक्षा करने आया। पहला ग्रामीण के रूप में दूसरी बार नाविक बनके और तीसरी बार तो हेलिकॉप्टर लेकर आया फिर भी तुम मेरे दिये हुए "अवसरों" को पहचान नही पाए। तुम क्या समझते थे कि में शंख-गदा-पदम् और चक्र लिये तुम्हारे सामने आता। साधू महात्मा में नर-नारायण हूँ और हर घट मे, मै बसा हुआ हूँ। पर तुम साधू होकर भी नही जान पाये और अपने हीं किसी अहंकार में अपने प्राण गँवा बैठे।
मित्रों हमारे जीवन में भी ईश्वर अक्सर ऐसे ही अवसर रूप में आता हैं। पर अहंकार वश हम ईश्वर द्वारा दिए इन "अवसरों" को जीवनभर पहचान नही पाते और इसी कारण परिस्थितियों के शिकार होते रहते हैं।
इसलिये मित्रोंशत्रु नहीं संदेश है ये, पहचानो संकेतजान सको तो जानलो, चुके होगी देर ।।
मित्रों ऐसे ही गुरु शब्दों को लेकर भी ईश्वर बार-बार हमारे जीवन में आता रहता हैं। पर हम उसे भी साधारण पुरुष समझ कर अनदेखा कर देते है।
अरे मेरे भाई पहचानो उसको...
ईश्वर रूप गुरु रो धरेऔर कदेई संत बण आ जाय
और एक सत्संग रे रूप मेंजट कृपा कर जाय।।
राधे-राधे...