Sixth Sense-3
दोस्तों पिछले पार्ट में हमने ये जाना की ये छटी इंद्री क्या है, ये कैसे जाग्रत होती है और कैसे हमारे मस्तिष्क के दृष्टिपटल पर संकेतो को ग्रहण करती हैं।
अब हम ये समझने का प्रयास करेंगे की ये विचार बाबा के दृष्टिपटल पर कयों फ्लेश होते हैं और कैसे ईश्वर की कृपा रसगुल्ले, टाई, इडली-सांभर या अन्य किसी बात में अटक जाती हैं।
हालाँकि अभी ये बाते आपको बड़ी ही हास्याद्प्रद प्रतीत हो रही होगी। पर जब आप इसके विज्ञान को समझ जाओगे तो बहुत आश्चर्य चकित हो जाओगे।
मित्रों जब हमारे मस्तिष्क की सेंसर प्रणाली किसी के अवचेतन मस्तिष्क के संकेतो को पढना और समझना प्रारम्भ कर देता हैं तब सामने वाले के अवचेतन मन के ऊपरी तल के विचार हमारे मानसिक पटल पर फ्लेश होने लगते है।
यह विचार सामने वाले व्यक्ति के अवचेतन मन के ऊपरी तल के वे विचार होते है जिसकी जानकारी उस व्यक्ति के चेतन मन यानी जाग्रत मन को भी नहीं होती। क्योंकि वह व्यक्ति मन का गुलाम होता हैं जिस कारण वह स्वयं अपने अवचेतन मस्तिष्क के सिचारो को भूल जाता हैं और संकेतो को समझ नही पाता। पर जब उसको उस बारे में पूछा जाता हैं तो उसके अवचेतन मस्तिष्क का उस विचार सम्बन्धित भाव सक्रीय होकर चेतन मस्तिष्क पर प्रकट हो जाता हैं। और उसे याद आ जाता हैं की उसके साथ ऐसा कब हुआ।
अब इसे यूं समझे की कोई व्यक्ति जब बाबा के पास जाता है,... तब बाबा की संकेत शक्ति पर बार-बार अगर टाई जैसी कोई वस्तु फ्लेश होती हो, तब बाबा उसे पूछते है कि भाई टाई सामने क्यू आ रही हैं। तब वो व्यक्ति जब उस बारे में सोचता है तब उसके अवचेतन मन से वो टाई से सम्बंधित तथ्य बाहर निकल कर चेतन मन में आ जाते हैं, और वह व्यक्ति बोलता है कि हाँ बाबा 2 साल पहले टाई तो लेकर आया था... पर पहनी नहीं। तब बाबा कहते हैं की जाओ भाई टाई पहनो और एक-दो टाई किसी को गिफ्ट भी दे दो कृपा वहीँ से रुकी हुई हैं। बस वो व्यक्ति टाई को पहनता हैं और किसी को गिफ्ट करता हैं उसके बाद उसके काम बनने शुरू हो जाते हैं।
मुझे पता है आप हँस रहे हैं कि टाई पहनने से कृपा कैसे हो गई जबकि भगवान् तो टाई पहनते ही नही और ना किसी मंदिर में टाई चढ़ाई जाती हैं। विषय कुछ लम्बा जरुर है पर इंट्रेस्टिंग भी है। और अगर आप पर ईश्वर की कृपा हुई तो आपको भी इन बातों का ज्ञान हो जायेगा, जिससे भविष्य में आपकी कृपा कहीं रुकेगी नहीं।
अगले पार्ट में हम ये जानेंगे की अवचेतन मस्तिष्क के ये ऊपरी तल के विचार क्या होते है और ईश्वर की कृपा का इन चीजों से क्या सम्बन्ध होता हैं।
राधे-राधे...
दोस्तों पिछले पार्ट में हमने ये जाना की ये छटी इंद्री क्या है, ये कैसे जाग्रत होती है और कैसे हमारे मस्तिष्क के दृष्टिपटल पर संकेतो को ग्रहण करती हैं।
अब हम ये समझने का प्रयास करेंगे की ये विचार बाबा के दृष्टिपटल पर कयों फ्लेश होते हैं और कैसे ईश्वर की कृपा रसगुल्ले, टाई, इडली-सांभर या अन्य किसी बात में अटक जाती हैं।
हालाँकि अभी ये बाते आपको बड़ी ही हास्याद्प्रद प्रतीत हो रही होगी। पर जब आप इसके विज्ञान को समझ जाओगे तो बहुत आश्चर्य चकित हो जाओगे।
मित्रों जब हमारे मस्तिष्क की सेंसर प्रणाली किसी के अवचेतन मस्तिष्क के संकेतो को पढना और समझना प्रारम्भ कर देता हैं तब सामने वाले के अवचेतन मन के ऊपरी तल के विचार हमारे मानसिक पटल पर फ्लेश होने लगते है।
यह विचार सामने वाले व्यक्ति के अवचेतन मन के ऊपरी तल के वे विचार होते है जिसकी जानकारी उस व्यक्ति के चेतन मन यानी जाग्रत मन को भी नहीं होती। क्योंकि वह व्यक्ति मन का गुलाम होता हैं जिस कारण वह स्वयं अपने अवचेतन मस्तिष्क के सिचारो को भूल जाता हैं और संकेतो को समझ नही पाता। पर जब उसको उस बारे में पूछा जाता हैं तो उसके अवचेतन मस्तिष्क का उस विचार सम्बन्धित भाव सक्रीय होकर चेतन मस्तिष्क पर प्रकट हो जाता हैं। और उसे याद आ जाता हैं की उसके साथ ऐसा कब हुआ।
अब इसे यूं समझे की कोई व्यक्ति जब बाबा के पास जाता है,... तब बाबा की संकेत शक्ति पर बार-बार अगर टाई जैसी कोई वस्तु फ्लेश होती हो, तब बाबा उसे पूछते है कि भाई टाई सामने क्यू आ रही हैं। तब वो व्यक्ति जब उस बारे में सोचता है तब उसके अवचेतन मन से वो टाई से सम्बंधित तथ्य बाहर निकल कर चेतन मन में आ जाते हैं, और वह व्यक्ति बोलता है कि हाँ बाबा 2 साल पहले टाई तो लेकर आया था... पर पहनी नहीं। तब बाबा कहते हैं की जाओ भाई टाई पहनो और एक-दो टाई किसी को गिफ्ट भी दे दो कृपा वहीँ से रुकी हुई हैं। बस वो व्यक्ति टाई को पहनता हैं और किसी को गिफ्ट करता हैं उसके बाद उसके काम बनने शुरू हो जाते हैं।
मुझे पता है आप हँस रहे हैं कि टाई पहनने से कृपा कैसे हो गई जबकि भगवान् तो टाई पहनते ही नही और ना किसी मंदिर में टाई चढ़ाई जाती हैं। विषय कुछ लम्बा जरुर है पर इंट्रेस्टिंग भी है। और अगर आप पर ईश्वर की कृपा हुई तो आपको भी इन बातों का ज्ञान हो जायेगा, जिससे भविष्य में आपकी कृपा कहीं रुकेगी नहीं।
अगले पार्ट में हम ये जानेंगे की अवचेतन मस्तिष्क के ये ऊपरी तल के विचार क्या होते है और ईश्वर की कृपा का इन चीजों से क्या सम्बन्ध होता हैं।
राधे-राधे...