Sixth Sense
दोस्तों Six Sense के रहस्यात्म और एक रोमांचकारी सफर में एक बार फिर आपका स्वागत हैं। मित्रों मेरा ये आर्टिकल धारा-प्रवाह आर्टिकल हैं जिसके 20 पार्ट में लिख चूका हूँ। हालाँकि अपने इस लेख को आगे भी प्रस्तुत कर चूका हूँ, पर पिछली बार जहाँ-जहाँ कुछ कमिया रह गई थी उनका सुधार इस संस्करण में कर दिया गया हैं।
मित्रों अपने जीवन के आज तक के सफ़र में मैंने जो दर्शन किया हैं, जो समझा हैं, जिस सत्य को पहचाना हैं, वो आप भी जाने ऐसा एक सुन्दर प्रयास है मेरा।
वैसे तो पेशे से मैं एक व्यापारी हूँ, पर बचपन से ही खोजी प्रवर्ति का रहा हूँ। अपने जीवन में सुख और सत्य को पाने तलाश में मैं अनेक पंडितो, ज्योतिषाचार्यों, गुरुओं इत्यादि के संपर्क में आया, पर इन सब से मुझे कोई सन्तुष्टि नही मिली। ईश्वर के नियमों और सिद्धांतो को समझने के लिये मैंने स्वयं ने धार्मिक ग्रंथो के साथ-साथ भूत-भविष्य को जानने वाले हस्त-रेखा, ज्योतिष शास्त्र इत्यादि और इनसे सम्बंधित विषयों का भी अध्ययन किया। पर इससे भी मैं सन्तुष्ट नही हुआ क्योंकि मुझे वो नही मिला जिसकी मुझे तलाश थी। ज्योतिष विज्ञान के द्वारा भूत-भविष्य को जानने के बाद भी मुझे एक अधूरा सा पन महसूस होता था। ऐसे में मित्रों सफर चलता गया और सत्य की खोज करते-करते में "ध्यान" और "दर्शन-शास्त्र" से जुड़ गया। ध्यान के माध्यम से मैंने ईश्वर के अनेक नियमों को जाना, कर्म के सिद्धांतो को समझा कि कैसे हम अपने द्वारा किये गए कर्मो से अच्छे-बुरे फल तक का सफर तय करते हैं।
पर दोस्तों जब तक उसको ना पा लूँ तब तक अधूरा ही हूँ।
मित्रों सत्य की खोज और "जीवन" के वास्तविक स्वरुप को समझने की कला ही "दर्शन" हैं। जो व्यक्ति ज्ञान को प्राप्त करने तथा नई-नई बातों और रहस्यों को जानने में रूचि रखता हैं, और फिर भी उसकी जिज्ञासा शांत नही होती, वो दार्शनिक कहलाता हैं। दर्शन का आरम्भ जिज्ञासा से होता हैं। बिना ईच्छा या जिज्ञासा के ज्ञान संभव नहीं। जीवन क्या हैं, आत्मा क्या हैं, परमात्मा क्या हैं, जीवन का आदि अंत सत्य क्या हैं? यही दर्शन का विषय हैं।
राधे-राधे...
Continued Sixth Sense...
दोस्तों Six Sense के रहस्यात्म और एक रोमांचकारी सफर में एक बार फिर आपका स्वागत हैं। मित्रों मेरा ये आर्टिकल धारा-प्रवाह आर्टिकल हैं जिसके 20 पार्ट में लिख चूका हूँ। हालाँकि अपने इस लेख को आगे भी प्रस्तुत कर चूका हूँ, पर पिछली बार जहाँ-जहाँ कुछ कमिया रह गई थी उनका सुधार इस संस्करण में कर दिया गया हैं।
मित्रों अपने जीवन के आज तक के सफ़र में मैंने जो दर्शन किया हैं, जो समझा हैं, जिस सत्य को पहचाना हैं, वो आप भी जाने ऐसा एक सुन्दर प्रयास है मेरा।
वैसे तो पेशे से मैं एक व्यापारी हूँ, पर बचपन से ही खोजी प्रवर्ति का रहा हूँ। अपने जीवन में सुख और सत्य को पाने तलाश में मैं अनेक पंडितो, ज्योतिषाचार्यों, गुरुओं इत्यादि के संपर्क में आया, पर इन सब से मुझे कोई सन्तुष्टि नही मिली। ईश्वर के नियमों और सिद्धांतो को समझने के लिये मैंने स्वयं ने धार्मिक ग्रंथो के साथ-साथ भूत-भविष्य को जानने वाले हस्त-रेखा, ज्योतिष शास्त्र इत्यादि और इनसे सम्बंधित विषयों का भी अध्ययन किया। पर इससे भी मैं सन्तुष्ट नही हुआ क्योंकि मुझे वो नही मिला जिसकी मुझे तलाश थी। ज्योतिष विज्ञान के द्वारा भूत-भविष्य को जानने के बाद भी मुझे एक अधूरा सा पन महसूस होता था। ऐसे में मित्रों सफर चलता गया और सत्य की खोज करते-करते में "ध्यान" और "दर्शन-शास्त्र" से जुड़ गया। ध्यान के माध्यम से मैंने ईश्वर के अनेक नियमों को जाना, कर्म के सिद्धांतो को समझा कि कैसे हम अपने द्वारा किये गए कर्मो से अच्छे-बुरे फल तक का सफर तय करते हैं।
पर दोस्तों जब तक उसको ना पा लूँ तब तक अधूरा ही हूँ।
मित्रों सत्य की खोज और "जीवन" के वास्तविक स्वरुप को समझने की कला ही "दर्शन" हैं। जो व्यक्ति ज्ञान को प्राप्त करने तथा नई-नई बातों और रहस्यों को जानने में रूचि रखता हैं, और फिर भी उसकी जिज्ञासा शांत नही होती, वो दार्शनिक कहलाता हैं। दर्शन का आरम्भ जिज्ञासा से होता हैं। बिना ईच्छा या जिज्ञासा के ज्ञान संभव नहीं। जीवन क्या हैं, आत्मा क्या हैं, परमात्मा क्या हैं, जीवन का आदि अंत सत्य क्या हैं? यही दर्शन का विषय हैं।
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