Sixth Sense-4
दोस्तों पिछले तीन भागो में हमने six sense के बारे में जाना कि कैसे ये शक्ति जाग्रत होती हैं और इसकी कार्यप्रणाली क्या हैं।
अब आगे हम ये जानने का प्रयास करेंगे की अवचेतन-मस्तिष्क क्या हैं, और विचार अवचेतन मन में क्यों पड़े रहते हैं, और इन विचारों से हमारी ईश्वरीय कृपा क्यों रूक जाती हैं।
मित्रों हमारे शरीर की मानसिक कार्यप्रणाली कुछ कंप्यूटर से जैसी होती है। कंप्यूटर में जैसे RAM(रनिंग मैमोरी) और internal-memory कार्य करते है, वैसे ही हमारे शरीर में "जाग्रत-मन" और "अवचेतन-मन" कार्य करते हैं।
जाग्रत मन यानी जो कार्य हम चलते-फिरते जाग्रत अवस्था में करते हैं। जैसे कम्प्यूटर चलाते समय कंप्यूटर का सारा कार्य रैम(RAM) यानी "रनिंग-मैमोरी" पर सम्पादित होता हैं। ठीक वैसे ही हमारा जाग्रत-मन, रनिंग-मैमोरी की तरह हीं वर्तमान के कार्यो को करता हैं।
अवचेतन मन "इन्टरनल-मैमोरी" की तरह होता हैं, जो जाग्रत मन के सभी कार्यो को अपनी मैमोरी में अपने-आप फीड करता रहता हैं। दैनिक दिनचर्या में आप जो भी कार्य करते है वो गुप्त-चित्रों के रूप में आपके अवचेतन-मन में ओटोमेटिक फीड होते जाते हैं।
आपका जीवन, जाग्रत मन के साथ जैसे-जैसे आगे बढ़ता हैं, वैसे-वैसे कर्मो के डाटा जाग्रत-मन से हटकर अवचेतन-मन में रक्षित होते जाते हैं। और यही हमारी भूल का कारण भी बनते हैं। पर जब पुराने कर्मो से सम्बंधित कोई बात सामने आती हैं तो अवचेतन मन से वो तथ्य बाहर निकल कर जाग्रत मन में आ जाते हैं। जैसे कंप्यूटर में कुछ सर्च करते हैं तो उससे सम्बंधित फाईले रनिंग-मैमोरी पर शो हो जाती हैं।
मित्रो... आपने कभी सुना होगा की व्यक्ति अपने मस्तिष्क की शक्ति का मात्र 5 प्रतिशत हिस्सा हीं काम में लेता बाकी 95 प्रतिशत भाग सुप्त अवस्था में रहता हैं। ऐसा क्यों होता है ? ये बात बिलकुल कंप्यूटर से मिलती-जुलती हैं। कंप्यूटर में RAM(रनिंग-मैमोरी) कम मात्रा में और Internal memory अधिक मात्रा में होती हैं। जैसे हमारे दैनिक जीवन में सारे कार्य जाग्रत-मन द्वारा सम्पादित होते हैं वैसे ही कंप्यूटर पर सारा कार्य "रनिंग-मैमोरी" पर सम्पादित होता हैं। पर इस पर एक साथ अत्यधिक Application पर कार्य करना संभव नही होता। एक साथ बहुत सारी Application खुली होने के कारण कंप्यूटर "हैंग" होने लगता हैं और कार्य करना मुश्किल हो जाता हैं।
बस ठीक इसी तरह अधिक Application खुली होने के कारण कंप्यूटर की "रनिंग-मैमोरी" की कार्यप्रणाली में बाधा उत्पन्न होने से कार्य सम्पादन रुक जाता हैं, वैसे हीं हमारी भी मानसिक प्रणाली "हैंग" होकर दैनिक कार्यो में रुकावट का कारण बन जाती हैं।
बस... हमारे मस्तिष्क के इसी "हैंग" होने की बात को बाबा की भाषा में कृपा का रुक जाना कहते हैं।
मित्रो कंप्यूटर का हैंग होना तो आपको समझ में आ गया होगा। पर हमारे दैनिक जीवन में ये जाग्रत-मन और अवचेतन-मन "हैंग" होकर कैसे हमारी सफलता और ईश्वरीय कृपा में रूकावट बन जाते हैं इसे अगले पार्ट में समझेंगे।
मित्रों में जानता हूँ की विषय बहुत लम्बा होता जा रहा है। पर सत्य ये भी है कि ईश्वरीय रहस्यों को जान लेना हर किसी के बस की बात नही। इसलिये वे लोग ही इसके अंतिम पार्ट तक पहुँच पायेंगे जिन पर ईश्वर की कृपा हैं।
राधे-राधे...
दोस्तों पिछले तीन भागो में हमने six sense के बारे में जाना कि कैसे ये शक्ति जाग्रत होती हैं और इसकी कार्यप्रणाली क्या हैं।
अब आगे हम ये जानने का प्रयास करेंगे की अवचेतन-मस्तिष्क क्या हैं, और विचार अवचेतन मन में क्यों पड़े रहते हैं, और इन विचारों से हमारी ईश्वरीय कृपा क्यों रूक जाती हैं।
मित्रों हमारे शरीर की मानसिक कार्यप्रणाली कुछ कंप्यूटर से जैसी होती है। कंप्यूटर में जैसे RAM(रनिंग मैमोरी) और internal-memory कार्य करते है, वैसे ही हमारे शरीर में "जाग्रत-मन" और "अवचेतन-मन" कार्य करते हैं।
जाग्रत मन यानी जो कार्य हम चलते-फिरते जाग्रत अवस्था में करते हैं। जैसे कम्प्यूटर चलाते समय कंप्यूटर का सारा कार्य रैम(RAM) यानी "रनिंग-मैमोरी" पर सम्पादित होता हैं। ठीक वैसे ही हमारा जाग्रत-मन, रनिंग-मैमोरी की तरह हीं वर्तमान के कार्यो को करता हैं।
अवचेतन मन "इन्टरनल-मैमोरी" की तरह होता हैं, जो जाग्रत मन के सभी कार्यो को अपनी मैमोरी में अपने-आप फीड करता रहता हैं। दैनिक दिनचर्या में आप जो भी कार्य करते है वो गुप्त-चित्रों के रूप में आपके अवचेतन-मन में ओटोमेटिक फीड होते जाते हैं।
आपका जीवन, जाग्रत मन के साथ जैसे-जैसे आगे बढ़ता हैं, वैसे-वैसे कर्मो के डाटा जाग्रत-मन से हटकर अवचेतन-मन में रक्षित होते जाते हैं। और यही हमारी भूल का कारण भी बनते हैं। पर जब पुराने कर्मो से सम्बंधित कोई बात सामने आती हैं तो अवचेतन मन से वो तथ्य बाहर निकल कर जाग्रत मन में आ जाते हैं। जैसे कंप्यूटर में कुछ सर्च करते हैं तो उससे सम्बंधित फाईले रनिंग-मैमोरी पर शो हो जाती हैं।
मित्रो... आपने कभी सुना होगा की व्यक्ति अपने मस्तिष्क की शक्ति का मात्र 5 प्रतिशत हिस्सा हीं काम में लेता बाकी 95 प्रतिशत भाग सुप्त अवस्था में रहता हैं। ऐसा क्यों होता है ? ये बात बिलकुल कंप्यूटर से मिलती-जुलती हैं। कंप्यूटर में RAM(रनिंग-मैमोरी) कम मात्रा में और Internal memory अधिक मात्रा में होती हैं। जैसे हमारे दैनिक जीवन में सारे कार्य जाग्रत-मन द्वारा सम्पादित होते हैं वैसे ही कंप्यूटर पर सारा कार्य "रनिंग-मैमोरी" पर सम्पादित होता हैं। पर इस पर एक साथ अत्यधिक Application पर कार्य करना संभव नही होता। एक साथ बहुत सारी Application खुली होने के कारण कंप्यूटर "हैंग" होने लगता हैं और कार्य करना मुश्किल हो जाता हैं।
बस ठीक इसी तरह अधिक Application खुली होने के कारण कंप्यूटर की "रनिंग-मैमोरी" की कार्यप्रणाली में बाधा उत्पन्न होने से कार्य सम्पादन रुक जाता हैं, वैसे हीं हमारी भी मानसिक प्रणाली "हैंग" होकर दैनिक कार्यो में रुकावट का कारण बन जाती हैं।
बस... हमारे मस्तिष्क के इसी "हैंग" होने की बात को बाबा की भाषा में कृपा का रुक जाना कहते हैं।
मित्रो कंप्यूटर का हैंग होना तो आपको समझ में आ गया होगा। पर हमारे दैनिक जीवन में ये जाग्रत-मन और अवचेतन-मन "हैंग" होकर कैसे हमारी सफलता और ईश्वरीय कृपा में रूकावट बन जाते हैं इसे अगले पार्ट में समझेंगे।
मित्रों में जानता हूँ की विषय बहुत लम्बा होता जा रहा है। पर सत्य ये भी है कि ईश्वरीय रहस्यों को जान लेना हर किसी के बस की बात नही। इसलिये वे लोग ही इसके अंतिम पार्ट तक पहुँच पायेंगे जिन पर ईश्वर की कृपा हैं।
राधे-राधे...